FII Kya Hai – विदेशी संस्थागत निवेश क्या है दोस्तों जब कभी भी बाजार में विदेशी इन्वेस्टमेंट की बात आती है तो विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट एफपीआई और विदेशी संस्थागत इन्वेस्टमेंट एफआईआई का जिक्र जरूर होता है क्यूंकि यह दोनों ही विदेशी इन्वेस्टमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं शेयर मार्केट की खबर में आपने कभी ना कभी यह भी सुना या पढ़ा होगा की कल बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट या विदेशी संस्थागत इन्वेस्टमेंट बाजार में खरीददार थे जिन्होंने बाजार में इतने करोड रुपए के शेयर खरीदे
![FII Kya Hai](https://thefullformhindi.com/wp-content/plugins/gumlet/assets/images/pixel.png)
इसलिए आज की पोस्ट में हम आपको FII Kya Hai के वारे में बताने वाले हैं| अगर आप एफआईआई क्या है के वारे में नहीं जानते है तो आप हमारे पोस्ट के लास्ट तक बने रहे
FII Kya Hai
एफआईआई को विदेशी संस्थागत इन्वेस्टमेंट भी कहते हैं जब कोई विदेशी संस्थान हमारे देश के शेयर मार्केट बीमा बैंकिंग आदि में इन्वेस्टमेंट करते हैं तो इस तरह से किया जाने वाला इन्वेस्टमेंट एफआईआई अर्थात विदेशी संस्थागत इन्वेस्टमेंट कहलाता है यह ऐसे इन्वेस्टर होते हैं जो अपने देश के पैसे को किसी दूसरे देश में लगते है विदेशी संस्थागत इन्वेस्टर एक बड़ा इन्वेस्टर होता है एफआईआई हमारे देश की अर्थव्यवस्था में बहुत ही खास रूल निभाते हैं
FII Kya Hai FII Full Form
एफआईआई का फुल फॉर्म Foreign Institutional Investors है
FII Kya Hai एफडीआई क्या है
किसी एक देश की कंपनी का दूसरा देश में किया गया इन्वेस्टमेंट डायरेक्ट विदेशी इन्वेस्टमेंट इन इतर वर्ड्स एफडीआई कहलाता है ऐसे इन्वेस्टमेंट से इन्वेस्टर्स को दूसरे देश की उसे कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा मिल जाता है आमतौर पर यह माना जाता है कि किसी भी इन्वेस्टमेंट को एफडीआई का दर्जा दिलाने के लिए कम से कम कंपनी में विदेशी इन्वेस्टर्स को 10 फ़ीसदी शेयर खरीदना पड़ता है इसके साथ उसे इन्वेस्टमेंट वाली कंपनी में सुफरागे भी हासिल करना पड़ता है
FII और FDI में अंतर
- एफडीआई में किसी विदेशी कंपनी द्वारा देश में प्रत्यक्ष निवेश होता है जबकि फिर निवेदक शेयरों म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं एफआईआई पार्टिसिपेट नोट सरकारी प्रतिभूतियों कमर्शियल पेपर आदि का निवेश माध्यम बनते हैं परंतु एफडीआई को प्रकृति स्थाई होती है लेकिन बाजार में उथल-पुथल की एफ आई आई जल्दी से बिक्री कर निकल जाते हैं|
- एफडीआई के अंतर्गत इस प्रक्रिया को फॉरेन मैनेजमेंट द्वारा नियंत्रित किया जाता है जबकि एफआईआई में मैनेजमेंट कंट्रोल की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि यह सेकेंडरी मार्केट का हाथ होता है|
- एफआईआई लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म दोनों विजन पर वर्क करती है जबकि एफडीआई लॉन्ग टर्म विजन पर वर्क करती है|
- एफआईआई में लॉकिंग पीरियड नहीं होता जबकि एफडी में लोगों पीरियड होता है|
- एफआईआई में निवेश 10% से कम होता है जबकि एफडीआई में निवेश 10% से ऊपर होता है
भारतीय कंपनी जहां 50% से अधिक FII की भागीदारी
- बाटा इंडिया – 78 प्रतिशत
- इनडुरेंस टेक्नोलॉजी – 66 प्रतिशत
- ट्राई डेंट – 66 प्रतिशत
- कोल इंडिया – 66 प्रतिशत
- ग्रैन्यूल्स इंडिया -63 प्रतिशत
- वैभव ग्लोबल – 52 प्रतिशत
- उषा मार्टिन – 51 प्रतिशत
किसी भी एफआईआई या एफडीआई को भारतीय बाजार में इन्वेस्टमेंट करने से पहले अपना पंजीकरण भारतीय सिक्योरिटी और एक्सचेंज बोर्ड हुए भारतीय रिजर्व बैंक के पास करवाना होता है और उनके नियमो कोई भी मानना होता है