आईपीओ, एफपीओ का फुल फॉर्म क्या होता है

आईपीओ का इस्तेमाल प्रमुख रूप से बड़ी कंपनियां करती है, क्योंकि जब बड़ी कंपनियों को अपनी कम्पनी में इन्वेस्टर्स को बढ़ाना होता है, तो वह आईपीओ (IPO) का इस्तेमाल करके सहायता लेती है | प्रसिद्द एवं बड़ी लाभ कमाने वाली कंपनियों के आईपीओ (IPO), शेयर बाजार में बिजनेस करने वालों के लिए बड़ा आकर्षण केंद्र होता हैं। वहीं यदि हम शेयर बाजार की बात  करें, तो बाजार की चाल कुछ ही समय में कुछ और होती है तो दूसरे ही समय बाद स्टॉक मार्केट को समझना थोड़ा कठिन सा लगने लगता है | 

वहीं, दूसरी तरफ भारत में  किसानो की संख्या कम होती जा रही है, क्योंकि धीरे-धीरे किसान खेती करना छोड़ रहे है,  जिसका मुख्य कारण किसानों को उचित लाभ नहीं प्राप्त होना है | इसके साथ ही खेती में किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है| तभी इन किसानो की समस्याओं को लेकर मार्च 2016 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की कृषि-नीति में ऐतिहासिक परिवर्तन लाने का फैसला करते हुए घोषणा की | वहीं की गई घोषणा के मुताबिक़, भारत की कृषि-नीति की शुरुआत करने का मुख्य उद्देश्य 2022 तक अनाज का उत्पादन बढ़ाकर किसानों की आमदनी दुगुनी करना है | इसके साथ ही किसानो के लिए मोदी सरकार इलैक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय मंडी (eNAM) स्थापित करने पर काम कर रही है, और इस योजना के अंतर्गत देश की एक-तिहाई विनियमित थोक मंडियों को सूचीबद्ध किया गया है | इसलिए इसे और भी संभव बनाने के लिए स्थानीय या क्षेत्रीय स्तर पर कृषक उत्पादक संगठनों (FPOs) के गठन की आवश्यकता है,  इससे एक हज़ार से भी अधिक किसान, मंडियों तक अपनी पहुँच आसानी से बनाने में कामयाब हो सकते है, जिससे वो और भी बेहतर दाम प्राप्त कर सके|  इसलिए यदि आपको आईपीओ, एफपीओ के विषय में अधिक जानकारी नहीं प्राप्त है और आप इसके विषय में जानना चाहते है, तो यहाँ पर आपको आईपीओ, एफपीओ का फुल फॉर्म क्या होता है | IPO, FPO Meaning, Full Form in Hindi | इसकी पूरी जानकारी प्रदान की जा रही है |

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आईपीओ (IPO) का फुल फॉर्म

आईपीओ (IPO) का फुल फॉर्म “Initial Public Offering” होता है, इसका हिंदी में उच्चारण “इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स” होता है | इसका हिंदी में अर्थ “प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव” होता है | जिसका इस्तेमाल शेयर बाजार के लिए किया जाता है |

एफपीओ का फुल फॉर्म (FPO Full Form)

एफपीओ का फुल फॉर्म “Farmer Producer Organization” होता है | वहीं इसका हिंदी में “फार्मर  प्रोडूसर आर्गेनाइजेशन” होता है | इसे हिंदी भाषा में “किसान उत्पादक संगठन” कहा जाता है |   

आईपीओ का क्या मतलब है ?

जब कोई कंपनी, फर्स्ट टाइम अपने शेयरों को पब्लिक या सामान्य जनता के समक्ष खरीदने की पेशकश  करता है, तो इस प्रक्रिया को प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (Initial Public Offering) कहा जाता है।  

साधारणत: प्राइवेट कंपनियां या कॉर्पोरेशन कंपनियां, कम्पनी के लिए बडी मात्रा में पूंजी एकत्र करने का काम करती है, जिसके लिए आईपीओ की सुविधा प्रदान की जाती हैं। कई क्षेत्रों में सरकारी कंपनियां भी विनिवेश (disinvestment) के द्वारा पूंजी एकत्रित करने के लिए आईपीओ (IPO) लाती हैं। विनिवेश के प्रोसेस  में, शेयर मार्केट के द्वारा, कोई – कोई सरकारी कम्पनिया अपनी कुछ हिस्सेदारी, लोगों को भी  बेच देती है |

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एफपीओ क्या है (FPO Kya Hai) ? 

किसान उत्पादक संगठन,  प्रमुख रूप से किसानों का एक समहू होता है, जो वास्तव में कृषि उत्पादन कार्य में लगा हो और कृषि व्यावसायिक गतिविधियां चलाने में एक जैसी धारणा रखते हों, एक गांव या फिर कई गांवों के किसान मिलकर भी यह समूह आसानी से बना सकते हैं। आप इस तरह का समूह बनाकर संगत कंपनी अधिनियम के तहत एक किसान उत्पादक कंपनी के तौर पर पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं।

किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के जरिये, जहां किसान को अपनी पैदावार की अच्छी रकम प्राप्त होती है, तो इससे खरीदार को भी उचित कीमत पर वस्तु प्राप्त हो जाती है। वहीं यदि अकेला उत्पादक अपनी पैदावार बेचने जाता है, तो उसका मुनाफा बिचौलियों को प्राप्त होता है। एफपीओ सिस्टम में किसान को उसके उत्पाद की अच्छी रकम प्राप्त हो जाती हैं, इससे उत्पाद की बर्बादी कम होती है और अलग-अलग लोगों के अनुभवों का फायदा मिलता है।

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एफपीओ से किसान को लाभ

  1. यह एक सशक्तिशील संगठन होने की वजह से एफपीओ के सदस्य के रूप में किसनों को बेहतर सौदेबाजी करने की शक्ति प्रदान करती है, जिसे उन्हें जिंशो को प्रतिस्पर्धा मूल्यों पर खरीदने या बेचने का उचित लाभ भी प्राप्त हो सकेगा | 
  2. बेहतर विपणन सुअवसरों के लिए कृषि उत्पादों का एकत्रीकरण। बहुलता में व्यापार करने से प्रसंस्करण, भंडारण, परिवहन इत्यादि मदों में होने वाले सयुंक्त खर्चों से किसानों को बचत करना है |  
  3. एफपीओ मूल्य संवर्धन के लिए छंटाई/ग्रेडिंग, पैकिंग, प्राथमिक प्रसंस्करण आदि जैसे – गतिविधियाँ शुरू कर सकता है जिससे किसानो के उत्पादन को उच्चतर मूल्य मिल सकता है।
  4. एफपीओ के गठन से ग्रीन हाउस, कृषि मशीनीकरण, शीत भण्डारण, कृषि प्रसंस्करण इत्यादि जैसे कटाई पूर्व और कटाई पश्चात संसाधनों के उपयोग में सुविधा प्रदान की जाती है | 
  5. एफपीओ आदान भंडारों, कस्टम केन्द्रों आदि को शुरू कर अपनी व्यवसायिक गतिविधियों को विस्तारित कर सकते हैं। जिससे इसके सदस्य किसान आदानों और सेवाओं का उपयोग रियायती दरों पर ले सकते हैं।

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