Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai | रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई

Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai

Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai | रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई यह एक अद्वितीय पर्व है, जिसके आगामी आने के संकेत से ही बहनों के चेहरों पर आनंद की मुस्कान खिल उठती है। यह मानवीय संबंध का एक रूप है जिसकी गहराईयों में छिपे आत्मा की उदात्तता है। रक्षाबंधन के इस प्रेम बंधन को शब्दों में बयां करना शायद संभव नहीं है, क्योंकि यह एक ऐसा नाता है जो भाई और बहन के दिल की गहराइयों में बसता है। यह पर्व उस विशेष बंधन का सम्मान करने का एक तरीका है, जो पवित्रता, समर्पण और सख्त मानवीय रिश्तों का प्रतीक होता है।

इस दिन भाई अपनी बहन के प्रति अपनी परिपूर्ण प्रेम और सुरक्षा की प्रतिज्ञा करते हैं, जबकि बहन अपने भाई की खुशियों और समृद्धि की कामना करती हैं। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि परिवार में प्यार और समर्पण का महत्व क्या होता है, और यह हमें आपसी सम्मेलन की महत्वपूर्णता का भी अहसास कराता है। इस खास दिन पर, हम यह आदर्श प्रेम बंधन को मनाकर अपने रिश्तों को मजबूती देने का संकल्प लेते हैं, जिससे हमारी जीवन में खुशियों का आदान-प्रदान बना रहे। तो दोस्तों आज के आर्टिकल में हम आपको Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai के बारे में बताने वाले हैं|

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Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai

रक्षाबंधन क्या है?

भारतीय संस्कृति में रिश्तों का महत्व अद्वितीय होता है, और रक्षाबंधन उन मूल संबंधों का प्रतीक है जो भाई-बहन के बीच में अनूठे प्रेम और बंधन को दर्शाते हैं। यह त्योहार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इसका मतलब होता है कि यह अक्षय तृतीया के दिन मनाया जाता है। रक्षाबंधन के इस खास दिन, बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, जिससे व्यक्त होता है उनका आदर और प्यार। यह एक प्रेम का प्रतीक होता है, जो भाई-बहन के बंधन को मजबूती और आदर्शता से बाँधता है।

इस पर्व का महत्व उस आपसी विश्वास में होता है जिससे भाई अपनी बहन की सुरक्षा और समृद्धि की कामना करता है, और बहन अपने भाई के साथ संबंधों की महत्वपूर्णता को समझती है। राखी एक मिलनसार परिधान होती है जिसमें सजीव रूप से प्रेम की मिसाल होती है। जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, तो वह उनके प्रति अपने प्यार और आदर की भावना को साझा करती है। इस रक्षाबंधन के माध्यम से, हमें यह याद दिलाया जाता है कि भाई-बहन के प्रेम और संबंध कितने महत्वपूर्ण होते हैं।

यह एक ऐसा दिन होता है जब वे आपसी समर्थन में खड़े होते हैं, और उनके बंधन को और भी मजबूत बनाने का आशा होता है। इस रक्षाबंधन, आइए हम सभी अपने भाई-बहन के प्रति प्यार और समर्थन की प्रतिबद्धता को और भी बढ़ावा दें, और उनके बीच एक अद्वितीय और मजबूत बंधन का आनंद उठाएं।

इस मधुर त्योहार को मनाने से हम अपने परिवार में खुशियों की मिठास को बढ़ा सकते हैं, और उनके साथ दिल से जुड़े रह सकते हैं।

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Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai

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रक्षाबंधन के उत्सव के संबंध में कई पौराणिक और ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख किया गया है। कहा जाता है कि देवराज इंद्र बार-बार राक्षसों के हाथों देवताओं की हार से निराश हो गए थे। | इस रक्षा सूत्र को इंद्राणी ने देवराज इंद्र की कलाई पर बांधा था, इस शक्तिशाली रक्षा सूत्र के प्रभाव से देवराज इंद्र राक्षसों को पराजित करने में सफल हुए और रक्षाबंधन का त्योहार शुरू हुआ। उनका यह भी मानना ​​है कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर ब्राह्मण का भेष धारण कर प्रसिद्ध राजा बलि से उसकी दानशीलता के लिए तीन पग भूमि मांगी थी। कहा जाता है कि संपूर्ण नापते समय बलि को पाताल लोक भेज दिया गया था। पृथ्वी और उसी की याद में रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है।

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रक्षाबंधन किस दिन मनाया जाता है

रक्षाबंधन पर्व, हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जब भाई की कलाई पर बांधे जाने वाले रंगीन धागे नए रिश्तों की शुरुआत को सूचित करते हैं। इन कच्चे धागों से नहीं, बल्कि पवित्रता और स्नेह के गहरे भावनाओं से भरे इस पर्व के माध्यम से भाई-बहन के आपसी बंधन को मजबूती से प्रकट किया जाता है। यह एक पवित्र और यादगार दिन होता है जिसमें भाई-बहन के बीच एक विशेष संबंध को मान्यता दी जाती है। इस पर्व को भारत के कई हिस्सों में ‘श्रावणी’ के नाम से भी जाना जाता है, जिससे यह पर्व और भी अधिक महत्वपूर्ण बन जाता है। यह एक सांस्कृतिक उत्सव है जो भाई-बहन के प्यार और संबंध का प्रतीक माना जाता है, और यह समाज में परिवार के महत्वपूर्ण बंधनों को बढ़ावा देने का एक सुनहरा तरीका है।

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Raksha Bandhan को और किन नामों से जाना जाता है

रक्षाबंधन के इस त्यौहार को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, इन नामों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आपको बता दें कि रक्षाबंधन को पश्चिम बंगाल में “गुरु महा पूर्णिमा”, दक्षिण भारत में “नारियल पूर्णिमा” और नेपाल में भी इसे कहा जाता है। “जनेऊ पूर्णिमा” के नाम से जाना जाता है।

  • पश्चिम बंगाल में, यह पर्व ‘गुरु महा पूर्णिमा’ के नाम से जाना जाता है, जब गुरुओं की पूजा का आयोजन होता है और शिक्षा के महत्व को मान्यता दिया जाता है।
  • दक्षिण भारत में, इसे ‘नारियल पूर्णिमा’ कहा जाता है, क्योंकि इस दिन नारियल (नारिकेल, यानी नारियल या नारिकेल) की पूजा की जाती है। इसके साथ ही, लोगों के बीच यह पर्व प्रेम और सद्भावना का प्रतीक भी होता है।
  • नेपाल में, यह पर्व ‘जनेऊ पूर्णिमा’ के रूप में भी मनाया जाता है, जब विशेष रूप से ब्राह्मणों के बच्चों को जनेऊ पहनाने का आयोजन होता है।

इन नामों से यह स्पष्ट होता है कि रक्षाबंधन का महत्व भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रूपों में मान्यता प्राप्त है, और यह सभी क्षेत्रों में सामाजिक सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।

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राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और पंचांग कब है

यह बहुत महत्वपूर्ण है कि लोग अपने पर्वों को आदर्श तरीके से मनाएं और शुभ मुहूर्त में उनके कार्यों को प्रारंभ करें। इस वर्ष रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त 2023 की रात्रि 09:01 से 31 अगस्त सुबह 07:05 तक है, जिसका अर्थ है कि बहनें इस समय के दौरान किसी भी समय अपने भाई को राखी बांध सकेंगी। यह विशेष मौका होता है जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ आकर अपने आपसी बंधन को मजबूती से प्रकट करते हैं। रक्षाबंधन के इस अवसर पर, आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं! यह पर्व आपके बंधुत्व और प्यार के आदर्श बंधन को मजबूती से जोड़े और समृद्धि और खुशियों से भर दे।

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Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai RELATED FAQS

Question. रक्षाबंधन पर किसकी पूजा की जाती है?

Answers. रक्षाबंधन पर भगवान शिव की पूजा बहुत धूमधाम से की जाती है.

Question. रक्षाबंधन का दूसरा नाम क्या है?

Answers. रक्षाबंधन को दूसरे नाम से ‘राखी पूर्णिमा’ भी जाना जाता है। यह पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है और इसे ‘राखी पूर्णिमा’ के नाम से भी पुकारा जाता है, क्योंकि इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और दोनों के बीच एक विशेष आपसी बंधन को मजबूती से प्रकट करती हैं।

Question. भगवान गणेश को राखी किसने बांधी?

Answers. भगवान गणेश को उनकी बहन मनसा ने राखी बांधी थी। यह पौराणिक कथा में वर्णित है कि मनसा देवी ने अपने भाई गणेश को रक्षाबंधन के दिन राखी बांधकर सुरक्षा की कामना की थी। यह एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर में महत्वपूर्ण रूप से शामिल है।

Question. भारत में रक्षाबंधन की शुरुआत कब हुई?

Answers भारत में रक्षाबंधन की शुरुआत 1905 में हुई.

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