MEA एक मंत्रालय है, जो प्रमुख रूप से विदेशों के साथ भारत के सम्बन्धों के व्यवस्थित संचालन के लिये उत्तरदायी मंत्रालय कहा जाता है । यह एक ऐसा मंत्रालय होता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधित्व की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। इसके अतिरिक्त यह अन्य मंत्रालयों, राज्य सरकारों एवं अन्य एजेन्सियों को विदेशी सरकारों या संस्थानों के साथ कार्य करते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में अवगत कराते हुए अपनी राय देते है |

यह एक महत्वपूर्ण मंत्रालय होता है | इसलिए यदि आपको MEA के विषय में अधिक जानकरी नहीं प्राप्त है और आप इसके विषय में जानना चाहते है, तो यहाँ पर आपको MEA Full Form in Hindi | MEA का क्या मतलब होता है ? इसकी विस्तृत जानकारी प्रदान की जा रही है |
MEA का फुल फॉर्म
MEA का फुल फॉर्म “Ministry of External Affairs” होता है | वहीं, इसका हिंदी में उच्चारण “मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स” होता है |
भारतीय विदेश मन्त्रालय का संगठन
स्वतन्त्रता पूर्व ब्रिटिश भारतीय सरकार का एक विदेश विभाग था। इसका सर्वप्रथम निर्माण वारेन हेस्टिंग्स के काल में 1784 में किया गया था। इसके बाद 1842 तक इस विभाग को गुप्त और राजनीतिक विभाग (Secret and Political Department) के नाम से जाना जाता था, फिर बाद में इसे विदेश विभाग (Foreign Department) के नाम जाने जाने लगा | इसके साथ ही इसके तीन उप विभाग थे- विदेश, राजनीतिक और गृह। फिर धीरे – धीरे कुछ समय बाद 1914 में यह विदेश और राजनीतिक विभाग (Foreign and Political Department) कहा जाने लगा | फिर 1935 के अधिनियम के परिणामस्वरूप बढ़े हुये कार्यों की वजह से विदेश और राजनीतिक विभागों को अलग स्वतन्त्र विभागों में कर दिया गया। इस विभाग का 1945 में नवीन नाम रख दिया गया “विदेश विभाग और राष्ट्रमण्डलीय सम्बन्ध विभाग“। फिर एक साल बाद 1946 को अन्तरिम सरकार का कार्यभार संभालने पर नेहरू ने इस विभाग का निर्देशन अपने हाथों में ले लिया। इसके बाद मन्त्रालय के इन दो विभागों को मार्च 1949 में आपस में मिला दिया गया तथा इसे विदेश मंत्रालय का नाम दिया गया, जिसे आज भी चलाया जाता है |
विदेश विभाग के मूल रूप से पांच कार्य इस प्रकार है-
- अपने देश के विदेशों के साथ सम्बन्ध,
- अन्तर्राष्ट्रीय संधियों का क्रियान्वयन,
- अपने देश के नागरिकों की सुरक्षा तथा विदेशों में राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना |
- अपने देश व पर देश के नागरिकों के आने जाने पर नियन्त्रण करना |
- व्यापार व वाणिज्य हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी भी निभाता है |
वहीं, इस तरह के सभी कार्यों को पूर्ण रूप से पूरा करने के लिए विदेश विभाग सूचनायें एकत्रित करता है, और साथ ही उनका अध्ययन कर विदेश मन्त्री तथा मन्त्रिमण्डल को अपना परामर्श भी देता है। विदेश विभाग आर्थिक क्षेत्र में विभिन्न देशों के साथ सम्बन्ध, देश की सुरक्षा के लिये खतरों से बचाव का परामर्श तथा सांस्कृतिक और प्रचार कार्य में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाता है |
विदेश मंत्रालय के कुछ महत्वपूर्ण विभाग
विदेश सचिव की स यतार्थ दो सचिव विदेशी मामले 1 (Secretary External Affairs I) तथा सचिव विदेश मामले 2 (Secratary External Affairs II) हुआ करते थे, लेकिन बाद में इनका नाम सचिव (पूर्व) (Secretary East तथा सचिव (पश्चिम) (Secretary West) रख दिया गया |
विदेश विभाग 20 उप विभागों (Division) में बांटा गया है, जिनके अध्यक्ष अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव अथवा डायरेक्टर होते हैं। ये विभाग प्रशासनिक (Administrative), प्रादेशिक (Territorial) और कार्य सम्बन्धी (Functional) होते हैं। इनकी सहायता तथा परामर्श के लिये एक प्रशसन तंत्र (Bureaucracy) परसोपानिक (hierarchical) आधार पर संगठित होता है जिसमें कार्य करने की आज्ञा ऊपर लेनी होती है, प्रशासनिक विभाग किसी और विभाग से सम्बन्ध नहीं रखता है बलकि यह केवल प्रशासन से ही सम्बन्धित है | इसके अलावा यह नीति निर्माण प्रक्रिया में अपना किसी भी प्रकार का कोई योगदान नहीं देता है |
भारतीय विदेश मन्त्रालय के भाग हैं
प्रादेशिक अथवा भौगोलिक आधार पर 9 विभाग हैं –
अमेरिका, यूरोप, पश्चिमी और उत्तरी अफ्रीका, पाकिस्तान (2 उपविभाग) उत्तरी पूर्वी एशिया और दक्षिणी एशिया है | हर डिविजन भौगोलिक आधार पर कई देशों को मिलाकर तैयार किया जाता है |
कानूनी और संधि विभाग (Legal and Treaties Division) –
अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पैदा हुई कानूनी समस्याओं, अधिकरणों (Tribunals), संधि, अनुसमर्थन आदि प्रश्न जिनसे भारत प्रत्यक्षः सम्बन्धित हो, इसी विभाग की देखरेख में आ रही समस्या का समाधान भी करता है |
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