जब देश में चुनाव का समय नजदीक आता है, तो चुनाव को सफल बनाने के लिए कई प्रबंध किये जाते है , जिससे किये जाने वाले मतदान या फिर किसी और प्रकार की समस्या न हो | इसलिए भारत निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में नोटा का का इस्तेमाल किया था और इसका रिजल्ट अच्छा आने के बाद वर्ष 2015 में इसे सम्पूर्ण देश में लागू कर दिया गया था | नोटा का इस्तेमाल प्रमुख रूप से इनमें से कोई नहीं के लिए किया जाता है |

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में यह एक बटन के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, और फिर मतदान करते समय यदि मतदाता को यह आभास होता है, कि जितने प्रत्याशी चुनाव में शामिल हो रहे है, वह सभी उसकी इच्छा के अनुरूप नहीं है, तो वह नोटा (NOTA) के बटन को प्रेस करके अपने विरोध को बहुत ही आसानी के साथ दर्ज करा सकता है, और वहीं, यदि किसी क्षेत्र में नोटा का प्रतिशत अधिक होता है, तो चुनाव आयोग प्रत्याशी बदलने का निर्देश भी दे सकता है | इसलिए यदि आपको नोटा से सम्बंधित अधिक जानकारी नहीं प्राप्त है और आप इसके विषय में जानना चाहते हैं, तो यहाँ पर आपको नोटा का फुल फॉर्म क्या है | NOTA Meaning and Full Form in Hindi | इसकी पूरी जानकारी प्रदान की जा रही है |
नोटा का फुल फॉर्म (Full Form Of Nota)
नोटा (NOTA) का फुल फॉर्म “नन ऑफ द एबव” होता है, वहीं इसका हिंदी में अर्थ ‘इनमें से कोई नहीं’ होता है | इसका इस्तेमाल प्रमुख रूप से मतदाता के द्वारा सभी प्रत्याशी को नापसंद के लिए किया जाता है |
नोटा (NOTA)क्या है?
चुनाव आयोग ने प्रमुख रूप से मतदाता को एक विशेष अधिकार प्रदान किया है, जो नोटा के नाम से प्रचलित है, इसका प्रयोग चुनाव में सभी प्रत्याशी को नापसंद करने के लिए किया जाता है | यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में एक बटन के रूप में प्रदर्शित होती है, इसका अर्थ “नन ऑफ द एबव” या “इनमें से कोई नहीं” होता है |
मतदाता द्वारा इसका प्रयोग करने पर किसी भी प्रत्याशी को वोट नहीं किया जाता है, तथा इसका प्रयोग करने पर प्रत्याशी बदलने का अनुरोध किया जाता है, यदि किसी क्षेत्र में नोटा का प्रतिशत अधिक होता है, निर्वाचन आयोग प्रत्याशी को बदलने का निर्देश भी दे सकता है |
नोटा का इतिहास (History Of Nota)
नोटा का इस्तेमाल सबसे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में किया गया था | इसका प्रयोग सबसे पहले अमेरिका के नेवादा राज्य में वर्ष 1976 के चुनाव में किया गया था | इसके बाद अब कई देशों में इसका प्रयोग शुरू कर दिया गया |
इसकी शुरुआत करने के लिए वर्ष 2009 में भारत के निर्वाचन आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय में नोटा के विकल्प को जोड़ने के लिए एक याचिका को दाखिल की थी, लेकिन उस समय केंद्र सरकार ने इस बात के लिए अपनी सहमति नहीं दी थी, जिसकी वजह से उस समय इसे लागू नहीं किया जा सका था | उस समय पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने इसका समर्थन किया था, जो कि एक गैर सरकारी संगठन था |फिर सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2013 में अपना निर्णय सुनाया था, जिसके अनुसार नोटा को मान्यता प्रदान कर दी गयी |
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