CAA & CAB Full Form- नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर पूरे देश में कोहराम मचा हुआ है। नागरिकता संशोधन कानून को भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया, और इस बिल को राष्ट्रपति द्वारा 12 दिसंबर को स्वीकृति भी दे दी गई। CAA के पारित होने के साथ ही उत्तर-पूर्व, पश्चिम बंगाल और नई दिल्ली सहित पूरे देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिले।

कई प्रदर्शनकारियों को लगा, कि इस कानून से उनकी भारतीय नागरिकता छिन जाएगी जबकि सरकार द्वारा कई बार स्पष्ट किया गया है, कि यह कानून नागरिकता देने के लिए है, न कि नागरिकता छीनने के लिए। हमारे देश में बड़ी तादाद में लोगो को CAA, CAB की उपयुक्त जानकारी नही है, जिसके कारण वह प्रदर्शनकारियों के साथ मिलकर दंगा- प्रदर्शन करनें में लगे हुए है | CAA, CAB क्या होता है ? इसके बारें में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहे है |
NRI (एनआरआई) FULL FORM IN HINDI
CAA & CAB FULL FORM | सीएए, सीएबी का फुल फार्म क्या होता है
CAA & CAB FULL FORM | सीएए को हिंदी में नागरिकता संशोधन कानून कहते है| CAA का फुल फॉर्म “Citizenship Amendment Act” है, और सीएबी का फुल फार्म Citizenship Amendment Bill होता है| यह संसद में पास होने से पहले CAB था, राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद यह बिल नागरिक संशोधन कानून (CAA, Citizenship Amendment Act) अर्थात एक्ट बन गया है।
सीएए, सीएबी क्या है (CAA & CAB Kya Hai)
सीएए, सीएबी दोनों ही एक ही कानून है| बिल के स्थान पर नाम बदलकर ACT कर दिया गया है | बिल को हिंदी में विधेयक कहते हैं, जबकि एक्ट को अधिनियम कहा जाता है| सीएबी अर्थात सिटीजन अमेंडमेंट बिल को राज्य सभा और लोकसभा में बहुमत प्राप्त होनें के बाद राष्ट्रपति ने भी इस बिल को पास कर दिया है| अब यह एक एक्ट बन चुका है, जिसे CAA के नाम से जाना जाता है |
CAA नागरिकता संशोधन कानून 2019, तीन पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) के उन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का अधिकार प्रदान करता है, जिन्होंने लंबे समय से भारत में शरण ली हुई है। इस कानून में किसी भी भारतीय, चाहे वह किसी मजहब का हो, की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई खतरा नहीं है।
सीएए मूल रूप से किस कानून का संशोधन है
सीएए मूल रूप से भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 का संशोधन है| यह संशोधन दिसंबर 2019 से पहले भी 5 बार हो चुका है| इस अधिनियम का संशोधन 1986, 1992, 2003, 2005 और 2015 में हो चुका है| इन सभी संशोधन में धर्म शब्द का प्रयोग नहीं हुआ था| भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में समानता को परिभाषित करता है, जबकि अनुच्छेद 15 में धर्म, वंश, जाति, लिंग व जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करने का प्रावधान है| संविधान के अनुच्छेद 11 के प्रावधान के अनुसार भारतीय सांसद को नागरिकता कानून को बनाने का अधिकार है| इस अनुच्छेद के अनुसार भारतीय सांसद किसी को नागरिकता देने या खत्म करने संबंधी कानून बनाने का अधिकार रखता है |
आईओसीएल, बीपीसीएल व एचपीसीएल का फुल फॉर्म
विरोध और प्रदर्शन का कारण क्या है
नागरिकता संशोधन कानून के अंतर्गत हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करनें की बात की गई है। इससे भारत में निवास करनें वाले मुस्लिम धर्म के लोगो को कोई परेशानी नहीं होगी। वर्तमान में इस प्रकार का भ्रम फैलाया जा रहा है, कि ये कानून मुस्लिम विरोधी है। भारतीय मुस्लमानों को यह डर दिखाकर गलत रास्ता दिखाया जा रहा है कि इस कानून से उनकी नागरिकता भी खतरे में पड़ सकती है। इस प्रकरण में प्रधानमंत्री मोदी व गृहमंत्री शाह समेत सरकार के तमाम मंत्री बयान दे चुके हैं कि ये कानून शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है। इसमें किसी की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है।