ICDS Full Form in Hindi देश की जनता की भलाई और विकलांगों को एक अच्छा जीवन यापन करने के लिए भारत सरकार द्वारा कई ऐसी योजनाएं शुरू की जाती हैं, जिसके माध्यम उन्हें कई सुविधायें प्रदान की जा सके, जिससे उन्हें अपना जीवन यापन करने में किसी प्रकार समस्या का सामना न करना पड़े | इसी तरह भारत सरकार ने एक आईसीडीएस योजना की शुरुआत की थी | आईसीडीएस भारत सरकार के द्वारा शुरू की जाने वाली एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसमें 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं को स्वास्थ्य, पोषण एवं शैक्षणिक सेवाओं का एकीकृत पैकेज की सुविधा प्रदान की जाती है |

इस योजना के तहत प्रत्येक 6 वर्ष के आयु के नीचे के बच्चों को, गुणवत्ता के साथ सभी प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाती है | यदि आप भी आईसीडीएस के विषय में जानना चाहते हैं, तो यहाँ पर आपको ICDS Full Form in Hindi , आईसीडीएस (ICDS) क्या होता है | इसकी विस्तृत जानकारी प्रदान की जा रही है |
ICDS का फुल फॉर्म हिंदी में
आईसीडीएस का फूल फॉर्म “Integrated Child Development Services” होता है, जिसे हिंदी भाषा में “समन्वित बाल विकास योजना” कहा जाता है | इस योजना की शुरुआत 2 अक्टूबर 1975 को कर दी गई थी, जिसके बाद से कुपोषण का शिकार हुए बच्चों को हर प्रकार की सुविधाएं दी जाने लगी | यह एक ऐसी योजना है, जो भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक मानी जाती है, क्योंकि इस योजना के अंतर्गत बच्चो के बचपन की देखभाल और विकास के लिए दुनिया के सबसे बड़े और अद्वितीय कार्यक्रमों में से एक का प्रतिनिधित्व किया जाता है।
इसके साथ ही इस योजना के तहत सभी छोटे-छोटे बच्चों को बहुत अधिक लाभ प्राप्त होते हैं और साथ ही में इस योजना के तहत विकलांग बच्चों पर विशेष ध्यान भी दिया जाता है, जिससे ऐसे बच्चे भी आम बच्चों की तरह अपना जीवन यापन कर सके और वो हर सुविधा का लाभ उठा सके |
आईसीडीएस (ICDS) क्या होता है
आईसीडीएस एक योजना है, जिसके तहत 0-6 साल के आयु वर्ग के बच्चों , गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को सुविधाएं प्रदान की जाती है | इसलिए यह योजना बहुत लाभकारी योजना मानी जाती है | इस योजना के शुरू होने से पहले स्वास्थ्य विभाग इस तरह बच्चों और महिलाओं को सुविधा प्रदान करते थे लेकिन अब आईसीडीएस (ICDS) के माध्यम से भी दिव्यांग बच्चों को चिह्नित किया जाने लगा है, जिसके बाद से अब दिव्यांग बच्चों की प्रारंभिक अवस्था में ही पहचान की जाने लगी है |
ICDS के क्या लाभ है
अब इस योजना की शुरुआत हो जाने के बाद आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आंगनबाड़ी सेविका दिव्यांग बच्चों को चिन्हित करने का काम करती है और यदि इसमें किसी प्रकार समस्या होती हैं तो राज्य के आईसीडीएस के सहायक निदेशक ने आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम अधिकारी को पत्र भेजकर इस संबंध में जानकारी देते है | इसके अलावा इस योजना के तहत अब आंगनबाड़ी की सभी सेविकाएं दिव्यांग बच्चों की प्रारंभिक अवस्था की पहचान करती है और इसके बाद इस बात की जानकारी जिला प्रारंभिक पहचान केंद्र को देती हैं |
वहीं पत्र के माध्यम से बताया गया है कि, बाल विकास पदाधिकारी की यह जिम्मेदारी होगी कि, चिह्नित दिव्यांग बच्चों का ब्योरा डीआईएसी को समय से उपलब्ध हो पाए। जिले में दिव्यांग बच्चों का ब्योरा रखना जिला प्रारंभिक पहचान केंद्र (डीआईएसी) की जिम्मेदारी होती है।” इसी के साथ पत्र में यह भी कहा गया है कि, बाल विकास पदाधिकारी को चिह्नित दिव्यांगों का पूरा ब्योरा प्रपत्र में भरकर देना होगा। जिसमें जिला का नाम, परियोजना का नाम, दिव्यांग का नाम, उसके माता एवं पिता का नाम एवं दिव्यांगता के प्रकार की जानकारी देनी होगी।”
इस योजना से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी
इस योजना की शुरुआत इसलिए की गई है कि, ताकि दिव्यांग बच्चों की समय से पहचान की जा सके, क्योंकि सरकार द्वारा चिह्नित बच्चों को बेहतर उपचार प्रदान की जाने की अधिक संभावना होती है | इसलिए आंगनबाड़ी सेविकाओं को इस योजना के तहत अधिक जिम्मेदारियां सौंपी गई है | इसके साथ ही आंगनबाड़ी सेविकाओं को अपने पोषक क्षेत्र में घरों का दौरा भी करने के लिए जाना होता हैं।
यहाँ पर हमने आपको आईसीडीएस के विषय में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई है | यदि इस जानकारी से रिलेटेड आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न या विचार आ रहा है, अथवा इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है, हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है |