केएफटी एक प्रकार का टेस्ट होता है, जो गुर्दे (किडनी) से जुड़ा हुआ होता है | गुर्दों के प्रभावी रूप से काम ना कर पाने की कई वजह हो सकती हैं। किडनी फंक्शन टेस्ट गुर्दें के कार्यों की जांच करने और समय के साथ-साथ उन पर नजर रखने में डॉक्टर की मदद करता है, क्योंकि कई प्रकार के खून व यूरिन टेस्ट किडनी के फंक्शन के बारे में डॉक्टर को जानकारी प्रदान कर सकते हैं। किडनी फंक्शन टेस्ट को रिनल फंक्शन टेस्ट (Renal function) और यूरिया एंड इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट (Urea and electrolytes test) भी कहा जाता है |

वर्तमान समय में अधिकतर लोगों के शरीर में कई तरह की समस्यायें होती है | इसी तरह लोगों को गुर्दे से सम्बंधित भी एक बड़ी समस्या होती है | यह बीमारी भी एक बड़ी बीमारी होती है, जिसमें लोगों की जान तक जाने का खतरा रहता है | इसलिए यदि आपको गुर्दे से सम्बंधित केएफटी टेस्ट के विषय में अधिक जानकारी नहीं प्राप्त है और आप इसके विषय में जानना चाहते है, तो यहाँ पर आपको KFT Full Form in Hindi | केएफटी टेस्ट फुल फ़ॉर्म, मतलब क्या है ? इसकी पूरी जानकारी प्रदान की जा रही है |
केएफटी (KFT) टेस्ट का फुल फॉर्म
केएफटी टेस्ट का फुल फॉर्म “Kidney Function Test” होता है | वहीं इसका हिंदी में उच्चारण “किडनी फंक्शन टेस्ट” होता है | यह एक प्रकार टेस्ट होता है, जो अधिकतर लोगो द्वारा कराया जाता है |
केएफटी टेस्ट का क्या मतलब है ?
किडनी फंक्शन टेस्ट प्रमुख रूप से इसलिए कराया जाता है, ताकि किडनी फंक्शन के सभी मापदंड सामान्य सीमा के अंदर ठीक रूप से काम कर रहे हैं या नहीं। इसके साथ ही किडनी फंक्शन टेस्ट की मदद से ब्लड यूरिया (Blood Urea), क्रिएटिनिन (Creatinine), यूरिक एसिड (Uric acid), व अन्य खनिजों के स्तर के विषय में जानकारी प्राप्त हो जाती है। इनमें मुख्य टेस्ट इस प्रकार से है-
- खून में क्रिएटिनिन का स्तर, अनुमानित ग्लोमेरुल फिल्ट्रेशन रेट (eGFR)
- ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (BUN)
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कुछ अन्य टेस्ट जिनमें निम्न टेस्ट भी शामिल हो सकते हैं |
- चयापचय के उत्पादों को मापने के लिए यूरिन टेस्ट,
- खून में इलेक्ट्रोलाइट्स की जाँच – आमतौर पर सोडियम, पोटाशियम, क्लोराइड या बाइकार्बोनेट,
- कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट।
केएफटी टेस्ट किस लिए कराया जाता है ?
- मनुष्य के शरीर में ऐसी कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती है, जिनकी वजह से डॉक्टर उन्हें किडनी फंक्शन टेस्ट कराने की सलाह देते है, जैसे-
- सामान्य स्वास्थ्य जांच के रूप में |
- गुर्दे के कार्यों का मूल्यांकन करने के लिए और गुर्दे को रोगों का पता लगाने व उनका परीक्षण करने के लिए केएफटी की जांच कराई जाती है |
- बढ़ रही गुर्दे की खराबी पर नजर रखने के लिए, यूरिया का स्तर बढ़ने पर अगर आपको शरीर में पानी की कमी होने का संदेह हो रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर आप केएफटी की जांच जरूर करा लें |
- अगर आपको किडनी खराब होने का संदेह है। खून में यूरिया और क्रिएटिनिन का उच्चस्तर जांचने के लिए, जिस कारण से गुर्दे पूरी तरह से काम नहीं कर पाते, तो इसका पता लगाने के लिए आप केएफटी की जांच करा सकते है |
- किसी दवा से उपचार शुरू करने से पहले किसी डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें, क्योंकि कभी -कभी ऐसा हो जाता है कि, कुछ गलत दवाओं का सेवन करने से उसका सीधे साइड इफेक्ट किडनी पर पड़ता है | इसलिए किसी भी तरह की दवाओं को शुरू करने से पहले और बाद में किडनी फंक्शन की जांच भी अवश्य कराने का प्रयास करें |
केएफटी टेस्ट में क्या किया जाता है ?
केएफटी टेस्ट के दौरान सबसे पहले तकनीशियन मरीज के शरीर से खून का सेंपल निकाला जाता हैं, जिसमें पहले मरीज की ऊपरी बाजू पर पट्टी या इलास्टिक बैंड बांधा जाता है। उसके बाद जहां इन्जेक्शन की सुई लगानी होती है, उस जगह को एंटीसेप्टिक द्वारा अच्छे से साफ कर दिया जाता है और उसके बाद त्वचा के अंदर से नस में सुई लगाई जाती है। इसके बाद सुई के माध्यम से खून का सेंपल निकाला जाता है जो सुई से जुड़े सीरिंज, शीशी या ट्यूब में संग्रह किया जाता है और उसके विश्लेषण के लिए लेबोरेटरी ले जाया जाता है | जब सुई लगाई जाती है, तो थोड़ी चुभन या दर्द महसूस होता है। सुई निकालने के बाद डॉक्टर उस जगह पर रूई का टुकड़ा रख देते हैं या बैंडेज लगा देते हैं, ताकि खून बहने से रोका जा सके |
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