एन.जी.ओ.(NGO)के बारे में लोग सुनते है लेकिन उसके विषय में ज्यादा जानकारी नहीं होती है | एन.जी.ओ.(NGO) की शुरुआत कोई भी कर सकता है, यह एक गैर सरकारी संगठन होता है | एन.जी. ओ. बिना किसी फायदे के चलाया जाता है, अर्थात एन.जी. ओ. को चलाने वाले व्यक्ति को एन.जी. ओ. से कोई आय नही होती है, ये सिर्फ दूसरे की सेवा करने के लिए चलाया जाता है, ये संगठन सरकार द्वारा भी चलाया जाता है । जो भी व्यक्ति एन.जी.ओ. को शुरु करता है, उसका एक मात्र ध्येय होता है, कि वह समाज की सेवा करें | एन.जी.ओ. (NGO) कोई भी व्यक्ति अकेले नही बना सकता, एन.जी.ओ. (NGO) बनाने के लिए एक से अधिक व्यकितयों का समूह होना चाहिए । एन.जी. ओ. (NGO) को बिना सरकारी पंजीकरण कराये और सरकारी पंजीकरण करवा के भी चलाया जा सकता है । यदि आप भी एन.जी.ओ.का फुल फॉर्म क्या है, एन.जी.ओ. क्या है, एन.जी.ओ. किस प्रकार बनायें, एन.जी.ओ. के काम और एन.जी.ओ. के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है |

NGO एन.जी.ओ. का फुल फॉर्म
एन.जी.ओ. (NGO) का फुल फॉर्म “Non- Governmental Organization” होता है, इसे हिंदी में “गैर सरकारी संगठन” कहा जाता है, एन.जी.ओ. एक ऐसी समिति/ संगठन होता है, जिसको किसी भी सरकार द्वारा संचालन नही किया जाता है | एन.जी.ओ. (NGO) को किसी भी तरह का लाभ उठाना या फिर किसी भी कंपनी का प्रचार करने के लिए नहीं बनाया जाता है, इसका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ समाज की सेवा करना होता है । इसके माध्यम से बहुत से सामाजिक कार्य किये जाते है | एन.जी.ओ के रजिस्ट्रेशन और मान्यता के नियम और कानून हर राज्य में अलग-अलग होती है, इसलिए अपने राज्य के नियम और कानून का पालन करें, लेकिन सामान्य नियम ये है, कि पहले एन.जी.ओ की समूह बनाई जाती है । एन.जी.ओ का मुख्य उद्देश्य समाज की सेवा करना होता है |यह समिति किसी आम आदमी, सरकार या किसी व्यापारी संस्थान द्वारा स्थापित किया जाता है | एन.जी.ओ (NGO) को किसी समुदाय स्तर, शहर स्तर, राष्ट्रीय स्तर या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गठित किया जाता है ।
एन.जी.ओ. (NGO) क्या है
एन.जी.ओ. की सर्वप्रथम शुरुआत अमेरिका में की गई थी, क्योंकि अमेरिका में सरकार के अतिरिक्त बहुत से सामाजिक कार्य इन समिति के माध्यम से किये जाते है । यह ऐसा समिति है, जिसे कोई भी व्यक्ति बना सकता है, लेकिन यह एक व्यक्ति के द्वारा नही बनाया जा सकता है, इसके लिए सात या इससे अधिक व्यक्तियों का संगठन होना चाहिए । यह लाभ के लिए नही बनाया जाता है, बल्कि इसे दूसरों के मदद करने के लिए बनाया जाता है | यदि कोई समिति या संगठन सामाजिक कार्य करना चाहता है, तो वह रजिस्टर्ड या बिना रजिस्टर किये एन.जी.ओ. के माध्यम से इन कार्यों को कर सकता है, लेकिन रजिस्टर्ड एन.जी.ओ. द्वारा यह लाभ है, कि आप इसमें सरकार से सामाजिक कार्य के लिए आर्थिक मदद ले सकते है । यदि कोई समिति या संगठन सामाजिक कार्य बिना सरकार की मदद से करना चाहता है, तो वह समिति/संगठन बिना रजिस्टर्ड एन.जी.ओ. को चला सकता है | भारत में लगभग एक से दो मिलियन एन.जी.ओ. होने का अनुमान है | भारत के सभी एन.जी.ओ. (NGO) सोसाइटीज एक्ट के तहत आते है ।
एन.जी.ओ. (NGO) किस प्रकार बनायें
एन.जी.ओ. (NGO) समिति/ संगठन बनाने से पहले आपको ये पता हो, कि आप के एन.जी.ओ. (NGO) का कार्य किस प्रकार होगा, उसी के आधार पर उसका रजिस्ट्रेशन होगा |
भारत में एन.जी.ओ. (NGO) का रजिस्ट्रेशन तीन प्रकार से होता है |तीनो की अपनी अलग – अलग भूमिका है, और इसे अलग – अलग कार्यों के लिए आवश्यकता अनुसार प्रयोग में लाया जाता है, जो इस प्रकार है |
- सोसाइटी एक्ट
- ट्रस्ट एक्ट
- कंपनी एक्ट
(1) सोसाइटी एक्ट
इस एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए “Memorandum Of Association And Rules And Regulation Document” की जरुरत होती है । इसका रजिस्ट्रेशन सोसइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत किया जाता है |
सोसइटी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन दो प्रकार से करवा सकते है | पहला राज्य के आधार पर करवा सकते है , जिसमे आप की समिति/ संगठन केवल राज्य में काम कर सकती है, और दूसरा केंद्र के आधार पर करवा सकते है, जिसमे आप की समिति पूरे देश या किसी भी राज्य में काम कर सकती है |
(A) राज्य स्तर पर एन.जी.ओ.
राज्यों स्तर पर एन.जी.ओ. बनाने के लिए कम से कम सात व्यकितयों के समूह की आवश्यकता होती है, जिसमे प्रत्येक व्यकित अलग – अलग घरो का होना चाहिए |
(B)केंद्र स्तर पर एन.जी.ओ.
केंद्र स्तर पर एन.जी.ओ. बनाने के लिए कम से कम आठ व्यकितयों के समूह की आवश्यकता होती है , जिसमे प्रत्येक व्यकित अलग – अलग राज्यों का होना चाहिए |
(2)कंपनी एक्ट
कंपनी एक्ट के तहत एन.जी.ओ. का रजिस्ट्रेशन करने के लिए कम से कम दो (डायरेक्टर\निदेशक ) की आवश्यकता होती है | कंपनी एक्ट के तहत “Memorandum Of Association And Rules And Regulation Document” होता है | कंपनी एक्ट के तहत समिति, पूरे भारत में यानि कहीं पर काम कर सकती है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा वेरीफाईड होना अनिवार्य होगा |
(3)ट्रस्ट एक्ट
भारत के अलग-अलग राज्यों में ट्रस्ट अधिनियम होते है, परन्तु अगर किसी राज्य में कोई ट्रस्ट अधिनियम नही है, तो उस राज्य में 1882 ट्रस्ट एक्ट लागू होता है, इस अधिनियम के तहत कम से कम दो ट्रस्टीज होना आवश्यक है |
इस अधिनियम के तहत एन.जी.ओ.का रजिस्ट्रेशन करने के लिए आपको चैरिटी कमिश्नर या रजिस्ट्रार के ऑफिस में आवेदन देना होगा ट्रस्ट एक्ट के तहत एन.जी.ओ. (NGO) रजिस्टर करने के लिए आपको (DEED) नामक डॉक्यूमेंट की आवश्यकता होती है ।
एन.जी.ओ (NGO) के काम
विश्व भर में एन.जी.ओ विभिन्न तरह के समाज सुधार और मानव सुधार के उद्देश्य से कार्य करते है, ये समिति लगातार विकास की दिशा में कार्य करते है, और समाज में सकारात्मक बदलाव लाते है | यह कई तरह के कार्य करती है, इसका मुख्य उद्देश्य समाजिक कार्य करना होता है । यह गरीब अनाथ बच्चो को शिक्षा दिलवाने में मदद, बच्चो को किताब दिलाने में मदद, स्कूल में बच्चो को अच्छा भोजन दिलवाने में मदद करती है ।
भारत के कुछ प्रसिद्ध एन.जी.ओ. के नाम
- सम्मन फाउंडेशन
- गूंज
- मुस्कान फाउंडेशन
- उदय फाउंडेशन
- LEPRA सोसायटी
- सरगम संस्था
- कर्मयोग
- अक्षय ट्रस्ट
- प्रथम
- उदय कल्याण फाउंडेशन
इस आर्टिकल में हमने आप को एन.जी.ओ. (NGO) के विषय में जानकारी दी | यदि इस जानकारी से रिलेटेड आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न या विचार आ रहा है, अथवा इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है, हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है |