अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पिछले 58 वर्षों से ओपेक एक प्रसिद्ध नाम है | यह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों को प्रभावित करने की शक्ति रखता है | ओपेक एक संगठन है | यह संगठन कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले देशों का प्रतिनिधित्व करता है |

किसी भी देश में पेट्रोल और डीजल कीमतों की उतार- चढ़ाव में इसकी मुख्य भूमिका रहती है | इस पेज पर OPEC Ka Full Form in Hindi , OPEC का क्या मतलब है, के विषय में बताया जा रहा है |
ओपेक (OPEC) का फुल फॉर्म (Full Form)
ओपेक का फुल फॉर्म “Organization of the Petroleum Exporting Countries” है | हिंदी में इसे “पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज संगठन” के नाम से जाना जाता है | इसका प्रमुख कार्य अपने सम्बंधित देशों के बीच पेट्रोलियम से जुड़ी नीतियों का निर्धारण करना है | इसके द्वारा पेट्रोलियम उत्पाद करने वाले देश कच्चे तेल की कीमतों को सुनिश्चित करते है | इस संगठन के द्वारा सम्बंधित देशों में प्रतिदिन एक निश्चित मात्रा में उत्पादन और आपूर्ति के लिए प्रयास किये जाते है |
ओपेक (OPEC) शामिल देश
ओपेक में विश्व के 15 देश जुड़े हुए है, इसके सदस्य वेनेजुएला, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, नाइजीरिया, लीबिया, कुवैत, ईरान, इराक, गैबन, गिनी, इक्वाडोर, कतर, कांगो, अंगोला, अल्जीरिया है |
ओपेक एक बहुत ही मजबूत संगठन है, इसको इस प्रकार से समझा जा सकता है कि इराक और ईरान के द्वारा पिछले आठ वर्षों तक लगातार युद्ध लड़ा गया फिर भी इन दोनों देशों के द्वारा इस संगठन में सहभागिता बनाये रखी गयी है | इसके सदस्य कतर इस संगठन को छोड़ सकता है | कतर के द्वारा विश्व में उत्पादित होने वाले कच्चे तेल का दो प्रतिशत उत्पादन किया जाता है | कतर के इस संगठन को छोड़ने से दो प्रतिशत के उत्पादन में कमी हो सकती है | इस संगठन में सऊदी अरब के बढ़ते प्रभाव के कारण वह इसकी सदस्यता छोड़ सकता है |
स्थापना (Establishment)
ओपेक की स्थापना बगदाद में सितंबर वर्ष 1960 में की गयी थी | इसकी स्थापना में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब तथा वेनेजुएला का प्रमुख सहयोग था | इस संगठन के लिए अनुमान लगाया जाता है कि यह देश विश्व का 75 प्रतिशत तेल का उत्पादन करते है | इसके संस्थापक देश ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेजुएला है |
ओपेक का मुख्यालय (OPEC Headquarters)
इसकी स्थापना के समय ओपेक का मुख्यालय स्विटजरलैंड में था | वर्ष 1965 में इसका मुख्यालय ऑस्ट्रिया के वियना में स्थापति कर दिया गया | यह संगठन खनिज तेल के उत्पादन व इसकी कीमत को नियंत्रित करके सदस्य राष्ट्रों के हितों का विशेष ध्यान रखने के लिए बनाया गया है |
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ओपेक का उद्देश्य (OPEC Purpose)
इस संगठन का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच पेट्रोलियम नीतियों को समन्वयित और एकजुट करना है, जिससे पेट्रोलियम उत्पादक देशों के द्वारा कच्चे तेल की कीमतों को स्थिर करने का प्रयास किया जा सके | इसके लिए ओपेक अपने सदस्य देशों को डेली एक निश्चित मात्रा में उत्पादन और निश्चित आपूर्ति पर नियंत्रण रखता है | इससे कच्चे तेल को घटती- बढ़ती कीमतों से बचाया जा सके | इसके अतिरिक्त वह इस उद्योग में निवेश करने वाली कंपनियों को घाटे से बचाते हुए लाभ पहुंचाने का प्रयास करता है |
भारत पर असर (Impact on India)
कच्चे तेल की कीमते भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालती रहती है | भारत कच्चे तेल के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है | इससे भारत में महंगाई का स्तर कम और अधिक होता रहता है | महंगाई अधिक होने से इसका असर सीधा आम जनता पर पड़ता है | भारत के द्वारा अपनी आवश्यकता का 82 प्रतिशत कच्चा तेल दूसरे देशों के द्वारा लिया जाता है | भारत के कुल आयात बिल में ब्रेंट क्रूड ऑयल का भाग लगभग 28 प्रतिशत रहता है | एक सर्वेक्षण से जानकारी प्राप्त होती है कि वित्त वर्ष 2019 में कच्चे तेल की कीमत औसत 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है |
यदि कच्चे तेल में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि की जाती है तो डब्ल्यूपीआई आधारित मुद्रास्फीति में 1.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी, सकल घरेलू उत्पाद में 0.2-0.3 प्रतिशत की कमी, करंट अकाउंट डेफिसिट में 9-10 अरब डॉलर की वृद्धि हो जाती है |