EMI Full Form in Hindi

मनुष्य को आर्थिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए बैंक या धन उपलब्ध करने वाली संस्था के द्वारा लोन प्रदान किया जाता है | इस लोन का उपयोग वह अपनी आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए करता है | इसके बाद वह बैंक को उसका धन वापस कर देता है | बैंक अपना धन ईएमआई के रूप में प्राप्त करता है |

इसलिए यदि आप बैंक से लोन लेना चाहते है, तो आपको ईएमआई के विषय में पूरी जानकारी होनी आवश्यक है | आपकी सहायता के लिए इस पेज पर EMI Full Form in Hindi , EMI Ka Kya Matlab Hota Hai , ईएमआई का पूरा नाम, के विषय में बताया जा रहा है |

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ईएमआई का फुल फॉर्म

ईएमआई का फुल फॉर्म “Equated Monthly Installment” होता है, हिंदी में इसे “समान मासिक क़िस्त” के नाम से जाना जाता है | इसके नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि यह प्रतिमाह धन प्रदान करने के विषय में जानकारी प्रदान कर रहा है | सरल शब्दों में इसे मासिक क़िस्त कहा जा सकता है | मासिक क़िस्त प्रतिमाह अनिवार्य रूप से दिया जाने वाला धन है |

EMI Ka Kya Matlab Hota Hai

जब हमे कोई प्रोडक्ट खरीदना होता है, इसके लिए हम बैंक से लोन लेते है | इसके बाद बैंक द्वारा दिए गए लोन को वापस लिया जाता है | यह धन हम ईएमआई के रूप में देते है, इसमें प्रतिमाह एक निश्चित राशि तय कर दी जाती है, यह राशि हमे प्रतिमाह बैंक को देनी होती है | इसे ही ईएमआई कहा जाता है | इस प्रकार से बैंक द्वारा दिए गए धन को चुकाया जाता है |

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ईएमआई का पूरा नाम

ईएमआई का पूरा नाम Equated Monthly Installment होता है | इसके द्वारा बैंक या फिर किसी भी फाइनेंसियल इंस्टीटूशन्स से लोन के रूप में ली गयी धन राशि को वापसी करने की सुविधा प्रदान की जाती है | इसके लिए बैंक की ओर से आपके लिए एक धन राशि निर्धारित कर दी जाती है | इसके साथ ही लोन चुकाने के लिए बैंक के द्वारा समय सीमा का निर्धारण कर दिया जाता है | आपको उसी समय सीमा में बैंक का सारा लोन चुकाना होता है |

ईएमआई के रूप में आपको बैंक को एक राशि देनी होती है जिसमें मूल धन और ब्याज दोनों ही सम्मिलित होते है | इस राशि को चुकाने के लिए अवधि का निर्धारण कर दिया जाता है | यदि इस अवधि में ब्याज दर बढ़ जाती है तो आपकी समय सीमा भी बढ़ जाती है | इसका अर्थ होता है, कि हमे लोन चुकाने के अधिक समय प्राप्त हो जाता है |

ईएमआई की गणना कैसे की जाती है ?

सभी प्रकार की ईएमआई तीन कारकों पर निर्भर करती है, यह कारक इस प्रकार है-

  • Interest Rate: बैंक या फाइनेंसियल इंस्टीटूशन्स के द्वारा तय की गयी ब्याज की दर
  • Loan Amount: लोन ली गई राशि
  • Tenure of the Loan: ब्याज सहित संपूर्ण ऋण चुकाने की समय सीमा

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फ्लैट ब्याज दर

फ्लैट ब्याज दर में ब्याज की गणना पूरे मूल ऋण पर की जाती है | इसमें इस बात पर ध्यान नहीं दिया जाता है कि प्रत्येक ईएमआई के साथ मूल राशि कम हो रही है | उदाहरण- यदि आप एक कार खरीदना चाहते है और उसके लिए आपको 3 लाख की आवश्यकता है इसके लिए आप बैंक से लोन लेते है, तो इस पर एक फ्लैट ब्याज दर 12% पर आपको 3 लाख की धनराशि को 3 वर्ष में चुकाना है तो इसकी ईएमआई की गणना इस प्रकार से की जा सकती है |

  • Principal Amount -300,000
  • Flat Rate of Interest: 12%
  • Total Duration: 3 Years

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ईएमआई(EMI )

मूल राशि को 36 महीनों से विभाजित किया जायेगा + 12% मूल राशि को 12 महीनों से विभाजित किया जायेगा = 8333 + 3000 = 11.333 रुपये |

ब्याज फ्लैट दर सामान्य रूप से कार ऋण और दोपहिया ऋण जैसे अल्पकालिक ऋण पर लागू किया जाता है |

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घटता शेष ब्याज दर

यदि बची हुई ब्याज दर कम होती है, तो ब्याज राशि हर महीने परिवर्तित होती रहती है | यह इसलिए होता है क्योंकि पहले महीने की ब्याज की गणना पूरे मूल ऋण पर की जा चुकी है | इसके बाद बचे हुए महीनों में ब्याज की गणना बकाया ऋण राशि पर की जाती है, कम ब्याज राशि का सूत्र इस प्रकार है-

Principal Loan Amount = 300,000

Diminishing rate of Interest =12%

Duration: 3 Year

प्रथम माह के लिए ब्याज = Loan Amount (300, 000)*(1/12*)*(12/100) =3000

द्वितीय माह के लिए ब्याज = (Outstanding Loan Amount)*(1/12)*(12/100)

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ईएमआई के अन्य फुल फॉर्म

ईएमआई के अन्य फुल फॉर्म इस प्रकार है-

  • EMI – Electric and Musical Instrument.
  • EMI – Electromagnetic Interference.
  • EMI – Equal Monthly Installment.
  • EMI – Equated Monthly Installment.
  • EMI – Electronic Money Institution.
  • EMI – Electromagnetic Inference.
  • EMI – Equated Monthly Installment.

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